भोपाल के विभिन्न संगठनों द्वारा मध्य प्रदेश में महिलाओं और किषोरियों के खिलाफ लगातार बढ़ते जा रहे बलात्कार, छेड़छाड़, तथा हिंसा के खिलाफ आज दिनाॅक 28/12/2012 को रेनबो,षाहपूरा झील के पास पर्दर्शन  किया  गया। 

 प्रदेश  मेंकेवल दिसंबर माह  में ही ‘‘सागर के अस्पताल में महिला से अस्पताल कर्मचारियों द्वारा रेप’’, सीधी के कठारा गांव में गूगीं एवं पैर से विकलांग दलित छात्रा के साथ रेप, ‘‘छिंदवाड़ा में मामा द्वारा 8 साल की भांजी से रेप ’’, ‘‘धार के राजगढ़ में षिक्षक द्वारा आदिवासी नाबालिग छात्रा से रेप’’, ‘‘नसरुलागंज में नर्मदा स्नान को आयी महिला के साथ रेप’’,‘‘रीवा के गाॅव में नाबालिग लड़की का अगवा कर रेप’’, ‘‘मुलताई में नाबालिग बालिका के साथ रेप’’, ‘‘स्लीमनाबाद के खड़रा गांव में 13 साल की नाबालिग बच्ची के साथ रेप’’, ‘‘टीकमगढ़ के सेंदरी में युवती के साथ रेप’’,‘‘नरसिंहपुर में नाबालिक के साथ रेप’’ ‘‘छतरपुर में 2नाबालिग बच्चीयों से रेप’’‘‘पन्ना में 7 साल की नाबालिग बच्ची के साथ रेप’’ आदि जैसी बड़ी घटनाएं मध्यप्रदेश में महिलाओं और किषोरियों के असुरक्षित होने की कहानी बयां करती है। लगातार होते रेप, गैंग रेप, छेड़छाड, की बढ़ती घटनाओं की वजह से आज मध्यप्रदेष महिलाओं और किषोरियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।दूसरी तरफ .प्र. में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से सबंधित निम्नलिखित आकंड़े प्रदेष सरकार के दावों और जमीनी हकीकत के फर्क को सामने लाने के लिए काफी है

  •   2012 में सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाऐं (संख्या 2868) मध्य प्रदेश में हुए है। 
  •   मध्य प्रदेश में बलात्कार और छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। यहां सबसे अधिक बलात्कार (संख्या 3135/14.1 फीसदी) और छेड़छाड़ की घटनाएं (संख्या 6646/16.4 फीसदी) रिपोर्ट की गई हैं जो देश में सबसे अधिक हैं।
  •   1 जनवरी 2012 से 31 जनवरी 2012 तक भोपाल में 122, इंदौर में 150, जबलपुर में 118 तथा ग्वालियर में 67 रेप/गैगरेप केस हुए हैं। 
  •   दलित और आदिवासी महिला उत्पीडन की घटनाओं में भी हमारे प्रदेश दूसरे राज्यों से आगे हैं। 

लगातार इतनी घटनाएं होने बाद के भी सरकार और प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कोई पहल नहीं की गई है, जिससे ऐसा लगे कि उसने इन वारदातों को गंभीरता से लिया है। अपराधियों में सजा का डर तक नहीं रहा है और वे अपराध किए जा रहे है। इसी सदर्भ में भोपाल के विभिन्न संगठनों द्वारा आज दिनाॅक 28/12/12 को प्रदेष में लगातार बढ़ रहे महिला हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्षन किया गया है। इस प्रदर्षन में बड़ी संख्या में युवाओं, विधार्थीयों, सामाजिककार्यकर्ताओं तथा जागरुक नागीिकों ने भागीदारी की।

कार्यकताओं द्वारा बताया गया कि .प्र. में लगातार बढ़ती हिंसा को लेकर संगठनों द्वारा सबंधित सरकारी विभागों/आयोगों को ज्ञापन भी सौपा जायेगा। 
प्रदर्षन के दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा सरकार -प्रषासन से निम्नलिखित मांगों की गई 
हमारी मांगे
  • जिम्मेदार विभाग, प्रषासन,पुलिस को जवाबदेह और जेंड़र संवेदनषील बनाया जाये।
  •   .प्र. महिला नीति 2008-12 की समयसीमा समाप्त हो गई है इसलिए तत्काल नई महिला नीति बनायी जाये। महिला नीति में दिये गये प्रावधानों के प्रति विभिन्न विभागों की ठोस जवाबदेही तय की जाये, महिला नीति के क्र्रियांवयन के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान हो, महिला नीति का समाज में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाये। 
  •  महिला के लिये बने कानूनांे का कठोरता से क्र्रियांवयन सुनिष्चित किया जाये
  • बलात्कार अन्य यौन उत्पीड़नों की जल्दी सुनवाई हेतु प्रदेष में फास्ट टेª कोर्ट्स का गठन किया जाये। 
  • मध्यप्रदेष के महिलाओं के घटते लिंगानुपात केा गभीरता से देखते हुये पीसीपीएनडीटी एक्ट के क्र्रियांवयन को सुनिष्चित किया जाये एवं उल्लंघन करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये।
  •    बलात्कार पीडि़त महिला का (जूव पिदहमत) मेडिकल टेस्ट ना किया जाये।
  • पीडि़ता को सरकारी नौकरी दी जाये।
  • अगर पीडि़ता नाबालिग है तो सरकार उसकी सम्पूर्ण षिक्षा,स्वास्थ तथा नौकरी की जिम्मेदारी ले।
  •   बलात्कार जैसी संवेदनषील घटना को महिला की इज़्जत के साथ नही जोड़ा जाए साथ ही बलात्कार की खबर करते हुए पत्रकारों को भी भाषा का ध्यान रखते हुएआबरू इज्जतइस प्रकार के शब्दों का प्रयोग ना किया जाए।
  •    मध्यपदेष मे खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो से लडकीयां लगातार लापता हो रही है। इसके लिये सरकार ठोस कदम उठाये।
  •      पितृसत्ता एवं महिला विरोधी सोच वाली योजनायं जैसे कन्यादान, लाडली लक्ष्मी, जननी सुरक्षा एवं स्वास्थ्य मातृत्व पर प्रतिबंध लगाया जायेे एवं किसी समुदाय विषेष के प्रतिकों के नाम से चलाई जा रही योजनाओं का नाम बदला जाये।
  •    सभी थानों में आवयष्क महिला र्पुिलस कर्मीयों की नियुक्ति सुनिष्चित किया जायेे।
  •   स्कूलों से ही जेंड़र ट्रेनिग दी जाये। 
  •    छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्रदेष के विष्वविधालयों और कालेजों में महिला सेल का गठन किया जाये।

भवदीय
नागरिक अधिकार मंच/ भारत ज्ञान विज्ञान समिति/ युवा संवाद/ संगनी, मध्यप्रदेष लोक सधर्ष साझा मंच, समता, राष्ट्रीय सेक्यूलर मंच, सेंटर फाॅर सोषल जस्टिस, अरबन एंड रुरल ग्रोथ एकेड़मी,  महिला मंच भोपाल,