भोपाल/ महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर देश भर में जारी आन्दोलनों का क्रम भोपाल में लगातार कई दिनों से जारी है। आज भी राजधानी के अलग अलग क्षेत्रों में कई विरोध कार्यवाहियां आयोजित की गईं। इस जाते वर्ष के अंतिम पखवाड़े में दिल्ली में हुई दिल दहला देने वाली शर्मनाक घटना और दामिनी की हत्या से सारा देश शोकमग्न है। ऐसे में मध्यप्रदेश के तमाम जनसंगठनों, आंदोलनों, गैरसरकारी संगठनों व तमाम लोगों ने इस गुजरते वर्ष की अंतिम संध्या पर सामूहिक रुप से संकल्प लिया है कि आने वाले वर्ष में हमारे समाज में लड़कियां व महिलाएं उत्पीड़न रहित व सुरक्षित हों, इसके लिये प्रयास करेंगे। संकल्प की यह मशाल शामरोशनपुरा चौराहा, न्यूमार्केट पर रोशन हुई।
संगठनों के नेताओं ने कहा कि मध्यप्रदेश जहां विगत कुछ वर्षों से लाड़लियों को सुरक्षा देने का ढोंग सरकार के द्वारा किया जा रहा है उसकी पोल विगत दो जनगणनाएं व प्रतिवर्ष आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े खोलते आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सन् 2012 में यानि इस वर्ष पूर्व देश में हुई बलात्कार की घटनाओं में सर्वाधिक मध्यप्रदेश में दर्ज की गई है। पिछले पांच वर्षों में ही 15486 बलात्कार के प्रकरण दर्ज हुये हैं। वर्ष 2011 में भी औसतन प्रतिदिन 9 बलात्कार की घटनाएं मध्यप्रदेश में दर्ज की गई थीं जो हम सभी के लिए शर्म और चिंता का विषय है। इन घटनाओं ने यह जाहिर किया है कि हमारे प्रदेश में लड़कियां गर्भकाल से लेकर पूरे जीवनकाल तक सिर्फ असुरक्षित ही है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि देशभर में बलात्कार व यौन उत्पीडन की घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रकार के सुझाव लगातार सामने आ रहे हैं जिनमें कड़े कानून बनाये जाने से लेकर अपराधी को फांसी की सज़ा दिये जाने तक की मांग उठ रही है। लेकिन यहां उपस्थित सभी संगठनों का मानना है कि कड़ा कानून बनाये जाने से अधिक आवश्यक उसका राजनैतिक हस्तक्षेप रहित क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना जरूरी है इसके साथ-साथ महिलाओं पर बलात्कार ही नहीं बल्कि अन्य तमाम प्रकार के उत्पीड़नों व शोषण को रोकने के लिए हर वर्ग की मानसिकता में बदलाव लाने की प्रक्रियाओं को अपनाया जाना भी बहुत जरूरी है जिसमें राजनैतिक दलों के नेताओं की सोच में बदलाव लाने भी आवश्यक हैं।
हालिया घटना के बाद तमाम नेताओं ने जिस तरह के बयान दिये, वे महिलाओं के अधिकारों के हक में कडे़ कदम उठाये जाने के बजाय उनकी महिला विरोधी सोच को ज्यादा प्रतिबिंबित करते हैं। इस तरह की घटनाओं तथा हर स्तर की लैंगिक असमानताओं से निपटने के लिए जन चेतना, राजनैतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति, कड़ा कानून व उसका उचित क्रियान्वयन समान रूप से आवश्यक है। आज यहां उपस्थित हुए तमाम संगठनों ने आने वाले वर्षों में महिलाओं व समाज के अन्य वर्गों के लिए शोषण विहीन व सुरक्षित वातावरण बने, इस हेतु समर्पित रहने की आवश्यकता का संकल्प लिया है।
2012 की अंतिम संध्या में संकल्प लिया गया कि एक साथ मिलकर हम आने वाले समय में ऐसे परिवार, मोहल्ले, गांव, शहर, देश और परिवेश, समाज का निर्माण करें जिसमें- ‘दामिनी’ के साथ हुए जैसे हादसे दोबारा न हों, कोई महिला बलात्कार की शिकार न हो, घर, परिवार और समाज में महिलाओं को घुट-घुट कर न जीना पड़े, महिलाओं को उनके वाजिब हक मिलें, महिलाओं की आजादी का पूरा सम्मान हो, अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्हें उचित अवसर वातावरण और आजादी मिले, महिलाओं से जुड़े मसलों पर चुप्पी तोड़ेंगे, संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के बिल को पारित करवाने के लिए संघर्ष करेंगे, यौन हिंसा की रोकथाम विधेयक उचित संशोधनों के साथ पारित करवाने के लिए संघर्ष करेंगे, यौन हिंसा से पीड़ित महिलाओं को उचित कानूनी सहायता, पर्याप्त चिकित्सा और न्याय दिलवाने के लिए लड़ाई लडे़गे, महिलाओं के आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने और उनकी आजीविका के लिए उपयुक्त व्यवस्था बनाने की लड़ाई लड़ेंगे, इसके लिए जरूरी ढांचागत व्यवस्था बनाने के लिए सामाजिक दबाव बनायेंगे।
आज के संकल्प व मशाल जुलूस का आयोजन भारत ज्ञान विज्ञान समिति, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, समता महिला समिति, विकास संवाद, युवा संवाद, मध्यप्रदेश विज्ञान सभा, जनवादी लेखक संघ, तूलिका संवाद, आंगनवाडी कार्यकर्ता, सहायिका एकता यूनियन, आशा उषा एकता यूनियन, स्टूडेंट फेडरेशन आफ इण्डिया, सीटू, प्रगतिशील लेखक संघ, संगिनी, सरोकार, अरण्या, एचआरएलएन, नागरिक अधिकार मंच, मध्यप्रदेश लोक संघर्ष सांझा मंच, बचपन, भोजन का अधिकार अभियान सहयोगी समूह, म.प्र., पीआरएस, राष्ट्रीय सेकुलर मंच, सेंटर फार सोशल जस्टिस, ह्यूमन राईटस ला नेटवर्क, अरबन एंड रूरल ग्रोथ अकादमी, महिलामंच, जन स्वास्थ्य अभियान व अन्य संगठनों के द्वारा किया गया।
http://www.kharinews.com से साभार
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