भोपाल, 3 जनवरी 2013, मध्य  प्रदेश के हम सभी महिला  नागरिक संगठन सरकार की पहल का स्वागत करते हैं जिसके तहत जस्टिज जे एस वर्मा की अध्यक्षता में लैंगिक अपराध के संबंध में बने कानूनों में सुधार करने हेतु एक कमेटी बनाई गई है।

मध्य प्रदेश के संदर्भ में हम यह कहना चाहते हैं कि एन सी आर बी के आंकडे दर्शाते  हैं कि हर साल देश  भर में होने वाले लैंगिक अपराधों में सबसे अधिक अपराध इसी प्रदेष में होते हैं इसलिये देश  भर के लिये इस संबंध में दिषा निर्देश  या कानून बनाने के लिये इस  प्रदेश की सामाजिक,राजनैतिक,प्रशासनिक  पुलिस की कार्य प्रणाली पर ध्यान देना आवष्यक होगा। हम यहां यह भी बताना जरूरी समझते हैं  कि इस  प्रदेश में आत्महत्या करने वाले या फिर हत्या का शिकार  होने वाले बलात्कार पीडित देश  भर में सबसे अधिक हैं यानि इस  प्रदेश को पुलिस,प्रशा सन  न्याय प्रणाली में सुधार की बेहद आवष्यकता है।  

हम जानते हैं कि  लैंगिक  हिंसा के संबंध में भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं में सुधार करने के लिये सुझाव आये हैं लेकिन हम केंद्रीय मंत्री मंडल के द्वारा धारा 375, 376  354 में सुझाये गये सुधारों के संबंध में चिंता व्यक्त करते हैं एक ओर हम यह मानते हैं कि पुराने पड चुके हमारी दंड संहिता के लैंगिक हिंसा से जुडे कानूनों में बदलाव की सख्त आवष्ष्यकता है वहीं दूसरी ओर हम यह महसूस करते हैं कि सरकार के द्वारा सुझाये गये ये प्रस्ताव अधूरे और कहीं कही विपरीत असर डालने वाले हैं।

इस परिस्थिति में हम यह कहना चाहते हैं कि पिछले 20 सालों से महिला संगठन  लैंगिक हिंसा से जुडे सभी कानूनों में सुधार की मांग कर रहे थे जिनमें बलात्कार,छेडछाड,अप्राकृतिक अपराध भी शामिल हैं। हममे से कुछ संगठनो ने 1993 में भी लैंगिक हिंसा से संबंधित  कानूनों में सुधारों की मांग की थी। तब से लेकर आज तक हमने सरकार से 2002,2005 और 2008 में बार बार हमारे सुझाव दिये और सुधारों की मांग की लेकिन हमें दुःख है कि किसी सरकार ने इन सुझावों पर ध्यान नहीं दिया और अंततः आज देश इस शर्मनाक स्थिति में पहंुच गया कि दिल्ली की एक बहादुर लडकी को अपनी जान देनी पडी।

हम सभी अधोहस्ताक्षरकर्ता संगठन  नागरिक देश  में पुलिस,न्यायप्रणाली,सामाजिक  राजनैतिक सुधारों की मांग इस कमेटी से कर रहे हैं।

न्याय प्रणाली में आवष्यक सुधार 

  •  विशाखा दिषा निर्देषों की तरह लैंगिक अपराधों के लिये भी एक विस्तृत कानून होना चाहिये।
  • बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिये फास्ट टेक कोर्ट स्थापित किये जायें और उनकी सुनवाई दैनंदिन होकर अधिक से अधिक 6 माह में कार्यवाही पूरी कर सजा सुना दी जाये।
  • कानूनन सुनिष्चित किया जाये कि बलात्कार पीडित को कानूनीचिकित्सकीय  आर्थिक सहायता तुरंत दी जाये और बिना किसी देरी के पीडित के पुर्नवास की भी व्यवस्था की जाये।
  •  दंड संहिता की धारा 354 जो छेडछाड को परिभाषित करती है को पुनः परिभाषित किया जाये और किसी महिला को लैंगिक उद्देष्य से छूने को भी दंडात्मक अपराध की सीमा में लाया जाये।
  • धारा 375 के अंतर्गत बलात्कार की परिभाषा को विस्तृत किया जाये और सभी तरह की भेदने वाली लैंगिक हिंसा को इसमें शामिल किया जाये।
  • छेडछाड के गंभीर मामलों मे जब चोट पहुंचती है या पीडित को घायल किया जाता है या फिर उसके कपडे उतारे जाते हैं ऐसे मामलों के लिये एक अलग धारा बनाई जाये। 
  • किशोर युवक जो बलात्कार या फिर सामूहिक बलात्कार जैसे घृणित  वीभत्स अपराधों में लिप्त होते हैं उन्हे वयस्क अपराधी की तरह माना जाये यद्यपि उन्हे अलग जेल या फिर किषोर गृहों मे रखा जा सकता है।
  • धारा 376  को हटाया जाये क्योंकि परित्यक्ता पत्नि के साथ की गई लैंगिक हिंसा सामान्य लैंगिक हिंसा की श्रेणि में आनी चाहिये।
  • धारा 376 में एक उप धारा जोड कर सैन्यबलों और पैरामिलिटरी के अधिकारियों के द्वारा नागरिक महिलाओं के साथ किये जाने लैंगिक अपराधों को गंभीर लैंगिक अपराध मान कर उन पर दी जाने वाली सजा का प्रावधान किया जाना चाहिये।
  • इसीमें एक  अलग हिस्से में सांप्रदायिक तनावों के दौरान  उसके साथ  किये जाने वाले लैंगिक हिंसा की घटनाओं को गंभीर लैंगिक अपराध की श्रेणि में रखा जाये।
  • धारा 376 बी (2) में वर्णित किसी सरकारी अधिकारी के समर्थन या खुद उसके द्वारा किये गये लैंगिक अपराध को गंभीर लैंगिक अपराध माना जाये और इसे अलग से जोडा जाये जो अन्य अभेदक लैंगिक हिंसा की श्रेणि के अपराधों में आते हों।
  • हम महसूस करते हैं कि बलात्कार या फिर किसी भी प्रकार की लैंगिक हिंसा से पीडित के साथ किया जाने वाला प्रष्नोत्तर महिला पुलिस अधिकारी और यदि महिला पुलिस अधिकारी उपलब्ध  हो तो महिला सरकारी कर्मचारी या फिर उस क्षेत्र में काम कर रहीं अधिकृत महिला संगठन की कार्यकर्ता के द्वारा किया जाये।
  • पी सी पी एन डी टी कानून का सख्ती से अमल करन, केंद्र स्तर से लेकर  ब्लॉक स्तर तक की निगरानी कमेटियों के निर्माण  उसके काम की समीक्षा करना सख्ती से आरंभ किया जाये। 
  • हम मांग करते हैं  कि एसिड हमलों या फिर एसिड हमलों की कोषिष करने को भी अपराध के रूप में परिभाषित करते हुये भारतीय दंड संहिता में एक अलग धारा जोडी जाये।

पुलिस  प्रणाली में आवष्यक सुधार 

  • पुलिस कर्मचारियों को नये तरीके से टेनिंग देने  महिलाओं के प्रति उनकी सोच बदलने के साथ साथ अधिक प्रोफेषनलिज्म सिखाने के तरीके ढूंढे जायें और इसे दिल्ली मेटो से शुरूवात की जाये। साथ ही पुलिस अधिकारियों  आम कर्मचारियों के बीच की वेतन विसंगतियों को भी दूर किया जाये।
  • देश के हर राज्य में हेल्प लाइन सेवा अनिवार्य रूप से आरंभ की जाये  इसे प्रभावी भी बनाया जाये।
  • पुलिस की एक बडी संख्या वी आई पी की सुरक्षा में लगी रहती है या फिर पुलिस के बडे अधिकारियों के घरों में अर्दली का काम करते रहते हैं इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिये।
  •  लैंगिक अपराधों के मामलों में पुलिस जांच समयबद्ध होना चाहिये।
  • तयशुदा मापदंडो के अनुसार जांच प्रक्रिया के बारे में देश  के सभी थानों में सूचित  कर दिया जाये और इस प्रक्रिया को अपनाने को अनिर्वाय बनाते हुये इसके प्रति जवाबदेही भी तय की जाये। 
  • उन सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये जो तयषुदा मानकीकृत जांच प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं।
  • सभी लैंगिक अपराधों की शिकायतों की जांच करने के लिये जिला स्तर पर एक माॅनिटरिंग कमेटी बनाई जाये जिसमें महिला संगठनो के प्रतिनिधि भी शामिल किये जायें और इस कमेटी के द्वारा हर माह दर्ज शिकायतों की कार्यवाही,पीडित के पुनर्वास  मामले की प्रगति  आरोपी को सुनाई गई सजा तक की समीक्षा की जाये। 
  •  भारतीय पुलिस को यह अच्छी तरह से समझाया जाये कि इस तरह के अपराधों की जांच करते समय महिलाओं के ंप्रति संवेदनशीलता,प्रभावी जांच और पुलिस की जवाबदेही ही पीडित को न्याय दिलाने में सहायक होंगे। 
  • सार्वजनिक स्थानों पर अधिक पुलिस बलों और विशेष रूप से महिला पुलिस बलों की नियुक्ति की जाये और गष्त बढाई जाये जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और महिलाओं की सुरक्षा सुनिष्चित की जा सके। सभी राज्यों में अनिवार्य रूप से हेल्प लाइन की व्यवस्था की जाये और उसे प्रभावी बनाया जाये।
  •  महिलाओं की सुरक्षा के लिये शहरो में ढांचागत सुधार किये जायें।
  •  देश के हर थाने में इस तरह के मामलों को निपटाने के लिये महिला पुलिस अफसर  अन्य महिला स्टाफ मुहैया कराया जाये।
  •  देश में जब हर थाना किसी  किसी निष्चित न्यायिक अधिकारी के साथ संबंधित है तो जब भी इस तरह की कोई घटना पुलिस थाने में रिपोर्ट होती है तो तुरंत संबंधित न्यायिक अधिकारी को बुलाकर उसके सामने एफ आई आर दर्ज की जानी चाहिये।
  • देश  में पुलिस व्यवस्था को चाक चैबंद करने के लिये पुलिस थानों की व्यवस्थायें भी सुधारी जायें  हर थाने को दिये जाने वाले बजट में वृद्धि की जाये। 
  • दलित या आदिवासी बहुल इलाकों में विशेष रूप से प्रशिक्षित  संवेदनशील पुलिस अधिकारियों  कर्मचारियों को तैनात किया जाये और दूर दराज के आदिवासी इलाकों में पुलिस की गश्त बढाई जाये लेकिन पुलिस की तैनाती में महिलाओं और गरीब दलित  आदिवासियों को डर नहीं सुरक्षा महसूस हो इसे सुनिश्चित किया जाये।
  • दलित या आदिवासी बहुल इलाकों के थानों के परिसरों में सुरक्षा गृह भी बनाये जाये जहां लैंगिक हमलों या शोषण की शिकायत कर्ता आवश्यकता होने पर सुरक्षित रूप से अकेली या फिर परिवार के साथ रह सके। इन सुरक्षा गृहों में आवास,चिकित्सा  भोजन की समुचित व्यवस्था की जाये।

 आवष्यक राजनैतिक सुधार

  • लंबे समय से लंबित पडा संसद  विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33 प्रतिषत आरक्षण वाला विधेयक तुरंत पारित किया जाये।
  •  राष्टीय महिला आयोग को ताकतवर बनाया जाये  उसे कार्यक्षम बनाया जाये साथ ही पॅनल के अयोग्य सदस्यों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाये। इस आयोग में देष भर के दर्ज बलात्कार के मामलों का रिकॉर्ड  रहे जिसमें बलात्कार के मामलों को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के साथ साथ इस तरह की घटनाओं की षिकायत पर जांच और बाद में आरोपी की दी गई सजा तक की जानकारी उपलब्ध रहे।
  • पी सी पी एन डी टी कानून,घरेलू हिंसा निरोधक कानून का तय निर्देशों के अनुसार हर राज्य में सख्ती से पालन किया जाये  विशाखा दिशा निर्देशों को कानून में तब्दील कर उसे भी सख्ती से पालन करने संबंधी आदेश जारी किये जायें।
  • पुलिस की एक बडी संख्या वी आई पी की सुरक्षा में लगी रहती है या फिर पुलिस के बडे अधिकारियों के घरों में अर्दली का काम करते रहते हैं इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिये।
  • महिलाओं के सम्मान को कम करने वाले और उन्हे बिकने वाली वस्तु मे तब्दील करने वाले बडे मुद्दों और देष की जनता के जीवनयापन की जरूरतों के मुद्दों पर अधिक ध्यान देते हुये नीतिगत परिवर्तन किया जाये।
  • आरंभ से ही लैंगिक संवेदनषीलता के साथ षैक्षणिक पाठ्यक्रम को तैयार किया जाये। इसे एक अतिरिक्त विषय की तरह से तैयार  किया जाये।
  •   सभी राजनैतिक पार्टियों के लिये अपनी महिला नीति घोषित करना अनिवार्य बना दिया जाये और सभी मुख्य धारा की राजनैतिक पार्टियों के लिये यह जरूरी किया जाये  िकवे लैंगिक उत्पीडन को कम करके आंकने,अपराध से पीडित को ही दोषी करार देने वाले सामंती और दकियानूसी मानसिकता के खिलाफ अभियान चलायें। 
  • यौन हिंसा के आरोपी किसी भी व्यक्ति को किसी भी स्तर का चुनाव लडने की अनुमति  दी जाये।
  •  देश की पुलिस व्यवस्था,न्यायिक प्रणाली  प्रशासन के लिये पर्याप्त बजट की व्यवस्था हो।
  • मीडिया रेगुलेटरी अथाॅरिटी,प्रेस कौंसिल और सेंसर बोर्ड को प्रभावीसक्रिय  जवाबदेह बनाया जाये जिससे महिला के सम्मान के साथ खिलवाड करने वाले दृष्यों,विज्ञापनों पर उचित कार्यवाही की जा सके 
हम सब हैं
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