बच्चे का नाम - निखिल सहरिया
उम्र - 7 साल
जाति - सहरिया आदिवासी
बस्ती - झुग्गी नंबर 351, श्याम नगर बस्ती, भोपाल
र्दुघटना तिथि - 30 अगस्त 2012
रामदास सहरिया श्याम नगर बस्ती के झुग्गी नंबर 351 में अपनी पत्नि मीरा सहरिया और तीन बच्चों के साथ रहते हैं। 7 वर्षीय निखिल इन तीन बच्चों में सबसे छोटा है। निखिल श्याम नगर के पास स्थित रविषंकर माध्यमिक शाला में कक्षा 2 का विधार्थी है।
निखिल के पिता रामदास दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और उसकी मां मीरा सहरिया आसपास के मकानों में घरेलू कामगार है। ये दोनों रोज सुबह से ही काम करने के लिए निकल जाते हैं
श्याम नगर बस्ती में जवाहरलाल नेहरु शहरी नवीनिकरण मिष्न के तहत शहरी गरीबों के लिए आवासीय इर्काईयाॅ बनायी गयी है। इन आवासीय इकाईयों में लगभग आधे बस्ती के परिवारों को पुर्नवासित कर दिया गया है। जबकि बाकि परिवार अभी भी वही पर झुग्गियों में रहते हुए निर्माण कार्य पूरा होने का इंतजार कर रहे है। रामदास सहरिया को भी अभी तक मकान आबंटित नही हुआ है और वे झुग्गी में रह रहे है।
30 अगस्त 2012 को रामदास सहरिया का 7 साल का बेटा निखिल सहरिया जवाहरलाल नेहरु शहरी नवीनिकरण मिष्न के तहत बने आवासीय इकाईयों में से ब्लाक नं 2 के छत पर अपने दोस्तों के साथ खेलने गया था। वहा दिन में लगभग 2 बजे के आसपास खेलते खेलते निखिल मकान के छत से नीचे गिर गया लेकिन वह नीचे रखी हुई लकड़ीयों के गटठर के ऊपर सिर के बल जा गिरा। जिससे उसकी जान तो बच गई लेकिन उसके सर पर गंभीर चोटें आयी हैं।र्दुघटना के समय निखिल के माता और पिता दोनों काम पर गये हुए थे।
खून से लथपथ बेहोश निखिल को आसपास के लोग बस्ती के ही डाक्टर के पास ले कर गये लेकिन बच्चे की गंभीर स्थिति को देख कर उसे हमीदिया अस्पताल रिफर कर दिया गया। इसी दौरान निखिल के माता पिता को भी खबर कर दी गई थी। जब बच्चे को हमीदिया अस्पताल ले कर गये तो पुलिस केस का कह कर रहे एडमिट करने से मना कर दिया तब बच्चे को नेहरु नगर स्थित ‘शारदा अस्पताल’ लेकर गये। जो की एक प्रायवेट अस्पताल है, वहां उसका इलाज किया गया।
निखिल के पिता रामदास ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे प्रायवेट अस्पताल का खर्च उठाने में असमर्थ थे इस कारण बच्चे को 2/3 घंटे में ही अस्पताल से डिस्चार्ज करके घर ले आये। अभी तक उसके इलाज में लगभग 1700रु खर्च हो गये हैं। कल फिर ड्रेसिगं के लिए अस्पताल में बुलाया गया है ।
निखिल की मां मीरा बाई का कहना है कि जबसे यह हादसा हुआ है तब से ही निखिल कोमा में था आज 12 बजे करीब 20 घंटे बाद उसे होष आया है तब से वह दर्द से कराह रहा है। उन्होनें कहा कि अगर बच्चा सीधे जमीन पर गिरता तो उसकी मौत निष्चित थी लेकिन गटठ्र के ऊपर गिरने के कारण उसकी जान बच गई।
रामदास ने बताया कि बस्ती में जवाहरलाल नेहरु शहरी नवीनिकरण मिष्न के तहत बना कर दिये गये मकानों में छतों में जाने के लिए सीढ़ी नही दी है और इन छतों में बाउन्ड्रीवाल नही बनाया गया है।
ज्ञात हो कि नागरिक अधिकार मंच भोपाल द्वारा हाल ही में जे.एन.एन.यू आर.एम. के तहत भोपाल शहर में फरवरी 2012 तक जिन बस्तीयों में शहरी गरीबों को मकान आबंटित मकानों और उसमें पुर्नवासित किये गये लोगों की स्थिति पर एक अध्ययन किया गया था।
किये गये अध्ययन में मुख्य रुप से निकल कर आया था कि जे.एन.एन.यू.आर.एम. के तहत बनाये गये मकान बच्चों के लिए खतरनाक है। कई बस्तीयों में आबंटित मकानों में एकमात्र नल का कनेक्षन दिया गया है जो कि बाथरुम में है। किचन में नल का कनेक्षन नही दिया गया है। इससे लोग छत पर रखे टंकियों से पाइप लगा कर किचन में पानी लेते हैं और ये काम ज्यादातर औरतें और बच्चे करते हैं, छत पर आने जाने के लिए सीढ़ी ना बने होने के कारण लोगों ने कच्ची सीढ़ी की व्यवस्था की है जो कि बहुत कमजोर होता है और बच्चों और महिलाओं के साथ कभी दुर्घटनाऐं होने की सम्भावना बनी रहती है।
श्याम नगर सहित अनेक बस्तीयों के इन आवासीय इकाईयों में छत पर आने जाने के लिए सीढ़ी नही बनायी गई है साथ ही साथ इन छतों पर बाउन्ड्रीवाल भी नही बनाया गया है, जिसके कारण इन बस्तीयों में कई बच्चों के साथ र्दुघटनाए भी घट चुकी है। ष्याम नगर में ही पहले भी 4 बच्चों के साथ र्दुघटनाऐं हो चुकी हैं।
इसी सदर्भ में संगठनों द्वारा विभागों और आयोगों को विस्तृत रिर्पोट और ज्ञापन भी सौपे गये हैं जिसमें यह मांग की गई है कि बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन आवासीय इकाईयों में छत में जाने के लिए सीढ़ी और छत पर बाउन्ड्रीवाल का निर्माण तत्काल किया जाये तथा भविष्य में शहरी गरीबों के लिए बनाये जाने वाले मकानों को बच्चों की सुरक्षा और हितों का ध्यान रखा जाये।
दिनाक 31 अगस्त 2012
0 Comments
Post a Comment