लोकसभा चुनावों में धर्मनिरपेक्षता,संवैधानिक मूल्यों और अपना मत प्रकट करने के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये नागरिक प्रयासों की भी जरूरत है। इस सन्दर्भ में दिनांक 9 अप्रैल 2014 को राष्ट्रीय सेकूलर मंच द्वारा लोकसभा चुनावों में हमारी भूमिका को लेकर भोपाल के गाँधी भवन में एक बैठक  का आयोजन किया गया ।
बैठक में  मध्य प्रदेश के धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील संगठनों / और नागिरकों ने भागीदारी की । इस अवसर पर हरदेनिया जी की राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पर लिखी गयी एक पुस्तक का लोकार्पण किया गया ।
बैठक में लोकसभा चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील संगठनों / और नागिरकों  की भूमिका पर बात की गयी तथा सांप्रदायिक फासिस्ट ताकतों को शिकस्त देने की संयुक्ति अपील जारी करने की निर्णय किया गया. बैठक में श्री एल.एस. हरदेनिया द्वारा उनके द्वारा तैयार की गयी अपील को प्रस्तुत किया गया, जिसको वहां मौजूद  सभी संगठनों और नागिरकों की सहमती और हस्ताक्षर के साथ यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है


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 इस समय जब भारत के नागरिक अगली लोकसभा के लिए अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं। उस समय हम कुछ गंभीर खतरों के प्रति देश की जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। ये खतरे हैं कठमुल्लापन के, साम्प्रदायिक विभाजन के, योजनाबद्ध हिंसा और समाज के कुछ वर्गों के प्रति घृणा की भावना फैलाने के। एक ऐसे अवसर पर जब हमारे देश सहित विश्व के अनेक देशों में संघर्ष की स्थितियां निर्मित हुई हैं। घटती हुई आय, मुद्रा स्फीति, बेकारी ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था को भी झकझोर दिया है, ऐसे मौके पर कुछ लोग ऐसे महामानव की तलाश में हैं जो हमको इन खतरों से उभार ले और देश के गौरव की पुर्नस्थापना करे। मीडिया के भारी भरकम प्रचार के माध्यम से यह बताने की कोशिश  की जा रही है कि नरेन्द्र मोदी ही एक ऐसा महामानव है जो हमें इन सब संकटों से छुटकारा दिला देगा। कार्पोरेट नियंत्रित इस प्रचार के कारण भारतीय जनता पार्टी ने भी गुजरात के इस तथाकथित लौहपुरूष के सामने समर्पण कर दिया है। यह बताने की कोशिश  की जा रही है कि मोदी के पास एक ऐसी जादू की छड़ी है जिससे वे देश  के सभी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों का मुकाबला कर सकते हैं।

पूरे तरह से कोशिश की जा रही है कि 2002 के सामूहिक जघन्य हत्याकांड जिसमें 3000 से ज्यादा मुसलमान मारे गए थे को भुलाकर यह बताया जाए कि वही व्यक्ति देश के नेतृत्व की क्षमता रखता है। झूठे आंकड़ों,अर्धसत्यों के माध्यम से यह बताने की कोशिश  की जा रही है कि गुजरात ने अद्भुत विकास किया है और विकास के उसी मॉडल  से देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाया जा सकता है। न सिर्फ देश में बल्कि भाजपा के भीतर भी उन आवाजों को दबा दिया जा रहा है जिनमें मोदी के प्रति आलोचना के स्वर होते हैं। यह बताया जा रहा है कि मोदी एक ऐसे दृढ़ इच्छाशक्ति  वाले व्यक्ति हैं जो कठिन से कठिन फैसले ले सकते हैं। पिछली शताब्दी का इतिहास इस बात का गवाह है कि इसी तरह की परिस्थितियों में कुछ देशों ने ऐसे ही कठोर इच्छाशक्ति  वाले नेताओं के हाथ में, घबराकर,परेशान  होकर सत्ता सौंप दी थी। उसका क्या परिणाम हुआ यह सब जानते हैं। इस तरह के व्यक्ति के आसपास कुछ ऐसा वातावरण बनाया जाता है कि हम सामूहिक रूप से अपने विवेक को भी उसके सामने समर्पित कर देते हैं। इसी तरह की अपेक्षाओं ने अनेक देशो  में फासिस्ट तानाशाही सत्ताओं को जन्म दिया था। इटली, जर्मनी और यूरोप के कुछ देशो ने जो भुगता है, जो कीमत इस तरह के नेतृत्व के सामने चुकाई है वे देश आज तक पूरी तरह से नहीं उभरे हैं। पीढि़यों की पीढि़यां बर्बाद हो गईं और तथाकथित दृढ़ नेतृत्व आम आदमी को कुछ भी नहीं दे सका, सिवाए बर्बादी,हिंसा और घुटन के। यह बात ध्यान में रखने की है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भरपूर कोशिश कर नरेन्द्र मोदी को देश  का सर्वमान्य नेता बनाने का प्रयास कर रहा है। यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अंतिम लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र की स्थापना है।

यह किसी से छिपा नहीं है कि धर्म और नस्ल पर आधारित राष्ट्र ज्यादा दिन नहीं टिकते हैं। यूरोप के साथ हमारे आसपास के देश भी इस बात के जीते-जागते उदाहरण हैं। इन देशों  के लोगों को धर्म आधारित सत्ता के सामने समर्पण करने के लिए मजबूर किया गया और इस समर्पण के नतीजे में वे आज भी गरीबी,घृणा और हिंसा के दौर से गुजर रहे हैं। क्या हम इतिहास के इन दुःखद त्रासदी से भरपूर उदाहरणों से भी सबक सीखने की कोशिश  नहीं करेंगे ?

इसमें कोई संदेह नहीं कि हमें ऐसी सरकार चाहिए जो ठोस निर्णय ले, जो इस देश के अभाव और गरीबी से पीडि़त लोगों को सुख और संपन्नता दे सके। परंतु हम ऐसी सरकार को खोजते हुए उन बुनियादी मूल्यों को न भुलाएं जिन पर हमारा देश  आधारित है। हमें उन बुनियादी मूल्यों को नहीं भुलाना चाहिए जिससे हमारे भारत की पहचान है। हमारे देश में उन सब का स्थान है जिनकी संख्या कितनी ही कम हो और हमारे देश में ऐसे लोगों को जीने का पूरा अधिकार है जिनकी सांस्कृतिक पहचान कितनी ही छोटी हो। नरेन्द्र मोदी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी बातें सुनकर,जिनका चेहरा देखकर हम स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसे व्यक्ति के हाथ में देश की सत्ता सौंपना आग से खेलने के बराबर है। अगला चुनाव हमारी अग्नि परीक्षा है। हम लुभावने नारों के चक्कर में न पड़कर अपने विवेक से फैसला करें और किसी मजबूत नेतृत्व की तलाशमें हम एक ऐसे समाज का निर्माण करने से बचें जिसका आधार घृणा और हिंसा हो सकता है। हमें विश्वाश है कि भारत के नागरिक अपने गौरवपूर्ण इतिहास को नहीं भुलाएंगे और उस भारतवर्ष और उसकी महान परंपराओं की रक्षा करेंगे जो हमें आजादी के आंदोलन के बाद धरोहर के रूप में मिली है।


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एल.एस. हरदेनिया (राष्ट्रीय सेकूलर मंच ),जी.एस.असिवाल(सिटी ट्रेडयूनियन),वीरेन्द्र जैन(जनवादी लेखक संघ),राजेंद्र शर्मा (प्रगितिशील लेखक संघ, मध्यप्रदेश  ),( जावेद अनीस(न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, मध्य प्रदेश ), दीपक भट्ट(राष्ट्रीय सेक्युलर मंच), उपासना बेहार(नागरिक अधिकार मंच), राजू कुमार ( स्वंतत्र पत्रकार ), एडोकेट आदिल रजा, अनिल कुमार,


दिनांक 10-04-2014