दिनांक 22 अक्टूबर 2013
नवदुनिया -हरदा , 3 अक्टूबर 2013 |
HT Bhopal 23 Oct.13 |
दिनांक 19 सितंबर 2013 को खिरकिया के छीपाबड़ में जो
साम्प्रदायिक दंगे हुए है उसको लेकर मध्यप्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष
मोहम्मद अनवर खान द्वारा बीते 1
अक्टूबर 2013 को वहां दौरा किया गया था। दौरे के बाद राज्य अल्पसंख्यक
आयेग के अध्यक्ष द्वारा स्थानीय मीडि़या में बयान दिया गया कि यह घटना दंगा नही
बल्कि हादसा है। उन्होनें दंगा पीडि़तों को मुआवजा वितरण में तत्परता दिखाने के
लिए स्थानीय प्रशासन की तारीफ भी की है।
हम सभी संगठन राज्य अल्पसंख्यक आयेग के
अध्यक्ष के इस बयान की भ्रत्सना करते हैं।
हमारे द्वारा 27 सिंतबर 2013 को इस घटना की फैक्ट फाइंडि़ग की़ गई
थी जिसकी विस्तृत रिर्पोट सबंधित प्रशासनिक अधिकारियों व आयोगों को भी भेजी जा
चूकी है। इसके अतिरिक्त हमारे द्वारा दिनांक 16
अक्टूबर 2013 को भी छीपाबड़ के दंगा प्रभावित
क्षेत्र का पुनः दौरा किया गया है।
हमारे भ्रमण के दौरान यह तथ्य स्पष्ट
रुप से निकल कर सामने आया है कि छीपाबड़ में हुई 19 सितंबर 2013 की घटना पूरी तरह से साम्प्रदायिक थी
जिसमें एकतरफा और सुनियोजित तरीके से एक विषेश सम्प्रदाय को निशाना बना कर हमला
किया गया। दंगाई़ पेट्रोल से भरी बोतलों और कुप्पियों से लैस थे। घरों के ऊपर
पेट्रोल का छिड़काव करने से पहले भीड़ द्वारा विषेश समुदाय के घरों में घुस कर
लूटपाट की गई और फिर पेट्रोल छिड़क कर वहां आग लगा दिया गया।
स्थानीय स्तर पर दोनो समुदाय के लोगों
से बातचीत करने पर इस पूरी घटना क्रम के सूत्रधार के रुप में जिन दो पात्रों का
नाम प्रमुख रुप से सामने आ रहा है उसमें से एक स्थानीय विधायक का बेटा तथा
सुरेन्द्र पुरोहित (टाइगर) नाम का एक अन्य व्यक्ति है जो कि चारुआ में एक गौशाला
का संचालन करता है और खुद को गौसेवा कमांड़ो का चेयरमेन कहता है। वह घटना के दिन
से फरार है। पुलिस अधिक्षक द्वारा हमारी टीम के सामने भी यह पुष्टि की गई थी कि
सुरेन्द्र पुरोहित द्वारा भीड़ के सामने बहुत ही भड़काऊ भाषण दिया था।
दंगें के बाद की स्थिति भी चिंताजनक
है। इस दंगें में जो ज्यादातर गरीब परिवार आगजनी और हिंसा का शिकार हुए है वो पहले से ही हरसूद के विस्थापित हैं।
प्रशासन द्वारा पीडि़तों को क्षतिपूर्ती के नाम पर 5 से 50 हजार का चेक दिया गया है जो कि क्षति
के हिसाब से बहुत कम है। दंगें का बच्चों के मनोदशापर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है।
वे अभी भी डरे सहमें हैं।
हमारा मानना है कि म.प्र अल्पसंख्यक
आयोग केवल इसी घटना को लेकर ही नही बल्कि पिछले कुछ सालों के दौरान प्रदेश में घटी
ज्यादातर साम्प्रदायिक घटनाओं में अपनी भूमिक निभाने में पूरी तरह से असफल रहा है।
हम मांग करते हैं कि अल्पंसख्यक आयेग
के अध्यक्ष तथ्यों के ठोस जांच किये बिना बयान देना बंद करें। छीपाबड़ में हुई
घटना का आयोग द्वारा गहनता से जांच करायी जानी चाहिऐ ताकि वह जमीनी हकीकत से रुबरु
हो सकें। इसके अलावा इस एकतरफा हिंसा और आगजनी करने में जो लोग शामिल रहे हैं उनको
सजा दिलाने और पीडि़तों को उचित,पर्याप्त
और सम्मानपूर्ण मुआवजा दिलाने के लिए भी आयोग आगे आये और अपनी भूमिका का
निष्पक्षता एवं ईमानदारी से निर्वाह करे।
जारीकर्ता
लज्जाशंकर हरदेनिया (वरिष्ठ पत्रकार व
राष्ट्रीय सेकूलर मंच), योगेश दीवान (पिपुल्स रिसर्च सोसायटी), जावेद अनीस, (एन.एस.आई.भोपाल)विजय कुमार
भा.क.पा.(मा-ले), दीपक विद्रोही (क्रांतिकारी नौजवान
भारत सभा),, उपासना बेहार (नागरिक अधिकार मंच), आजम खान (ऐडवोकेट)
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