कृष्णमोहन झा
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डाॅक्साब, नाम तो उसका जाफर है
लेकिन इतना विनम्र
और इतना तेजस्वी है लड़का
कि लगता ही नहीं कि वह जाफर है
कहीं भी देख ले
आकर सबसे पहले चरण-स्पर्श करता है
और मांस-मछली के भक्षण की बात तो जाने दीजिए
कहता है कि अंडे से भी बास आती है
और सर्वाधिक आश्चर्य की बात तो ये सुनिए-
अपने प्रस्तावित शोधोपाधि के लिए जो विषय चुना है उसने
वह कबीर या रसखान या जायसी नहीं
बल्कि अपने बाबा तुलसी हैं
...जी-जी हां...
बिल्कुल ठीक कहा आपने
कमल तो सदैव कीचड़ में ही खिलता है।

शिक्षा-विमर्श- सितम्बर-अक्टूबर, 2009 से साभार