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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता
पार्टी इस बात पर फख्र कर सकते हैं कि उनके दीवाने सरहद पार भी हैं। इनमें से एक
प्रशंसक श्रीलंका के कट्टरपंथी बौद्ध धर्मगुरु दिलांथा विथानागे भी हैं। वे चाहते
हैं कि उनके देश में भी मोदी जैसा नेता और भाजपा जैसी पार्टी हो।
बोदु बाल सेना (बीबीएस) के मुख्य कार्यकारी
विथानागे कहते हैं कि हमारी इच्छा है कि हमारे पास भी मोदी जैसा नेता हो। बीबीएस
को चरमपंथी सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी संगठन माना जाता है। यह संगठन पिछले साल
श्रीलंका में मुसलमानों और ईसाइयों पर हुए खूनी हमलों के लिए कुख्यात रहा है। इसी
कारण बीते राष्ट्रपति चुनाव में महिंदा राजपक्षे को अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों
के वोट से महरूम रहना पड़ा और शिकस्त मिली। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में
विथानागे ने कहा कि उनके देश में कंपनी के रूप में पंजीकृत उनका समूह भाजपा और
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित है। जल्द ही उनका समूह इन भारतीय संगठनों की
तर्ज पर पार्टी शुरू करेगा,
ताकि श्रीलंका में बौद्ध संस्कृति के रक्षा की
जी सके।
विथानागे ने कहा कि मोदी को लेकर हमारे मन में
सकारात्मक धारणा है। एक नेता के तौर पर उनकी शख्सीयत की तारीफ करते हैं।
अनाधिकारिक रूप से हमारे और भाजपा- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निजी रिश्ते रहे
हैं। उनके नेताओं से संवाद भी होता रहा है। अब हम भारतीय प्रतिपक्षियों से सक्रिय
राजनीतिक वार्ता शुरू करने जा रहे हैं।
बौद्ध नेता ने कहा कि बीबीएस को धार्मिक आतंकी
संगठन के रूप में प्रचारित करना वैसी स्थिति है, जिस तरह गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को
सामना करना पड़ा था। विथानागे ने कहा कि हम लोग किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं। हम
किसी के खिलाफ नफरत नहीं फैलाते। लेकिन यह भी सही है कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म
और मूल्यों की रक्षा के लिए,
कुछ सत्यों को लेकर हम कड़ी बातें भी करते हैं।
उन्होंने कहा, भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ और भारतीय जनता पार्टी जिस तरह बहुसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं, उसी से प्रेरणा लेकर उनका संगठन बोदु बाल सेना
श्रीलंका में बहुसंख्यक बौद्धों के लिए आवाज उठाता आया है। किसी दूसरे धर्म से
उनका वैर नहीं है। विथानागे कहते हैं कि भारत और श्रीलंका में काफी समानताएं हैं।
भारत की तरह श्रीलंका में भी बौद्धों पर धर्मांतरण का खतरा मंडरा रहा है। मुसलमानों
और अन्य अल्पसंख्यकों ने धर्मांतरण का कुचक्र चला रखा है। सिंहली परिवारों में एक
या दोबच्चे हैं, जबकि अल्पसंख्यक आधा दर्जन या इनसे ज्यादा बच्चे
पैदाकर आबादी का संतुलन बिगाड़ रहे हैं। इनके पीछे विदेशी पैसा लगा हुआ है। हमें
इसे रोकना होगा। इसीलिए मोदी और उनकी पार्टी हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।
बीबीएस की स्थापना 2012 में जाथिका हेला उरूमाया (जेएचयू) से अलग हुए एक
कट्टरपंथी धड़े ने की थी। संगठन का कहना है कि बौद्ध धर्म की रक्षा के लिए इसका गठन
हुआ। सेना का मुख्यालय कोलंबो के बुद्धिस्ट कल्चरल सेंटर में है जिसका उद्घाटन 2011 में राजपक्षे ने किया था।
श्रीलंका में बीबीएस को आम तौर पर धार्मिक पुलिस
के तौर पर भी देखा जाता है। यह संगठन अल्पसंख्यक वोट बैंक की सियासत पर सवाल उठाता
आया है। बीबीएस का आरोप है कि अल्पसंख्यकों की ओर से चलाए जा रहे कारोबार में अवैध
विदेशी पैसा लगा हुआ है। सेना का आरोप है कि देश के अल्पसंख्यक खासकर मुसलमान और
ईसाई धर्मांतरण के कुचक्र में लगे हैं। दूसरी ओर बीबीएस पर आरोप है कि वह
बहुसंख्यकों को भड़काकर मस्जिदों और चर्चों पर हमले करवाता है।
संगठन ने अपने गठन के बादएक साल में ही ईसाइयों
के खिलाफ अपना अभियान चलाकर कुख्याति हासिल की थी। जून 2014 में बीबीएस ने मुसलमानों की ज्यादा आबादी वाले
इलाकों को निशाना बनाया। इस घटना में चार लोग मारे गए थे। स्थानीय अखबारों में छपी
खबरों में बताया गया कि बीबीएस से जुड़े लोगों ने कई जगह पेट्रोल बम फेंके। कुछ
कस्बों में मुसलमानों के घरों , कारोबार को निशाना बानाया
गया। देश की आबादी में मुसलमान दस फीसद हैं। इस हिंसा पर अमेरिका और यूरोपीय संघ
ने चिंता जताई थी और बीबीएस की गतिविधियों पर चेतावनी दी थी।
जनसत्ता से साभार
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